गंगा, गंडक व घाघरा में डॉल्फिन समेत अन्य जलीय जीवों का सर्वेक्षण

राज्य की तीन नदियों में डॉल्फिन समेत अन्य जलीय जीवों का वैज्ञानिक सर्वेक्षण किया जा रहा।

बिहार सरकार पहली बार बड़े स्तर पर गंगा की जैव विविधता को लेकर सर्वे करा रही है। इसमें वन विभाग के साथ ज्यूलॉजिकल सर्वे ऑफ इंडिया, तिलकामांझी भागलपुर विश्वविद्यालय के पर्यावरणविदें को कमान दी गई है।

तीन भागों में बांट कर हो रहा सर्वेक्षण:

1. राज्य के मुख्य वन्यप्राणी प्रतिपालक भारत ज्योति के अनुसार, गंगा नदी के पश्चिमी भाग में बक्सर जिले के चौसा से पटना होते हुए मोकामा व पूर्वी भाग में सिमरिया से भागलपुर जिले के कहलगांव व कटिहार के मनियारी तक यह सर्वेक्षण होगा।

2. वहीं गंडक के उत्तरी सीमावर्ती क्षेत्र से सोनपुर में गंगा के संगम स्थल तक 320 किमी क्षेत्र में यह सर्वेक्षण कार्य होगा।

3. जबकि घाघरा नदी के पश्चिमी सीमावर्ती क्षेत्र से गंगा के संगम स्थल तक सौ किमी क्षेत्र में जलीय जीवों व वनस्पति का अध्ययन होगा।

गंगा नदी में पाई जाने वाली डॉल्फिन भारत की राष्ट्रीय जलीय जीव है। भारत सरकार ने पांच अक्टूबर 2009, तक किसी भी जलचर को राष्ट्रीय जीव घोषित नहीं किया गया था। पांच अक्टूबर 2009 को तत्कालीन प्रधानमंत्री मनमोहन सिंह की अध्यक्षता में हुई गंगा नदी घाटी प्राधिकरण की एक बैठक में मुख्यमंत्री नीतीश कुमार के सुझाव पर विलुप्त हो रही डॉल्फिन को राष्ट्रीय जलीय जीव घोषित किया गया।

गंगा नदी में पाई जाने वाली गंगा डोल्फिन एक नेत्रहीन जलीय जीव है जिसकी घ्राण शक्ति अत्यंत तीव्र होती है।

● विलुप्त प्राय इस जीव की वर्तमान में भारत में २००० से भी कम संख्या रह गयी है जिसका मुख्य कारण गंगा का बढता प्रदूषण, बांधों का निर्माण एवं शिकार है।

बिहार व उत्तर प्रदेश में इसे ‘सोंस’ जबकि आसामी भाषा में ‘शिहू’ के नाम से जाना जाता है।

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